जोधपुर अगर दिल में कुछ करने की इच्छा हो तो इंसान कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी परचम लहरा सकता है” ,यह सिद्ध कर दिखाया है 40 साल की युवती आशा ने ,जिसे उसके पति ने आठ साल पहले दो बच्चों के साथ अकेले जिंदगी की जंग लड़ने के लिए छोड़ दिया था.लेकिन उसने हार नहीं मानी और अपने माता-पिता के सहयोग से, अपनी पढ़ाई जारी रखी, ग्रेजुएशन के बाद 2018 में राजस्थान प्रशासनिक सेवा प्रतियोगी परीक्षा में शामिल हुई। और इस परीक्षा में सफल हुई।
अपने दो बच्चों का पेट भरने के लिए आशा ने जोधपुर नगर निगम में सफाई कर्मचारी के रूप में भी कार्य किया है उन्हें राज्य प्रशासनिक सेवा में वरिष्ठ अधिकारी के रूप में नियुक्त किया जाएगा.
आशा ने कहा, “मेरा मानना है कि समझदारी इसी में है कि अगर लोग आप पर पत्थर फेंकते हैं, तो आपको उन्हें इकट्ठा करना चाहिए और एक पुल बनाना चाहिए. अगर मैं कर सकती हूं, तो कोई भी कर सकता है.”मेरा मानना है कि कोई भी काम छोटा नहीं होता”
उन्होंने अपनी सफलता का श्रेय अपने पिता को देते हुए कहा कि उनके पिता उनकी प्रेरणा हैं. उन्होंने NDTV से कहा, “मेरे पिता एक शिक्षित व्यक्ति हैं और शिक्षा के महत्व को समझते हैं. उन्होंने हमें पढ़ना और आगे बढ़ना सिखाया है. उन्होंने प्रशासनिक सेवाओं को चुनने का कारण बताया कि वह अपने जैसे अन्य कम विशेषाधिकार प्राप्त लोगों की मदद करना चाहती है। आशा के पिता राजेंद्र कंदरा भारतीय खाद्य निगम में लेखाकार पद पर सेवानिवृत्त हुए हैं.