माननीय पीएम नरेंद्र मोदी शाम को संविधान दिवस के मौके पर विज्ञान भवन पहुंचे, यहां भाषण दिया, उन्होंने कई देशहितकारी मुद्दों पर विचार किया उन्होंने कहा कि “गरीबो को समान अवसर देना ही राष्ट्र निर्माण का अंग है। इस दौरान, चीफ जस्टिस एनवी रमन्ना, कानून मंत्री किरन रिजिजू समेत कई वरिष्ठ जज मौजूद रहे।
नरेंद्र मोदी ने कहा– ‘आज सुबह मैं विधायिका और कार्यपालिका के साथियों के साथ था, अब न्ययापालिका से जुड़े लोगों के साथ हूं। पीएम मोदी ने कहा कि हमारी अलग अलग जिम्मेवारी है ,हमारे काम की प्रकृति भी अलग है। लेकिन हमारा मार्गदर्शक स्रोत और दिशा-निर्देश संविधान है। हम सविधान के नियमो पर चलते है।
पीएम मोदी ने कहा- ‘आज बहुत अच्छा दिन है। हमें अपने संविधान निर्माताओं के उस सपने को पूरा करने की जरूरत है, जो उन्होंने देखा था। हमें बहुत कुछ हासिल करना है। हमारा संविधान समावेश की अवधारणा पर जोर देता है। हमने उन लोगों के लिए सबसे अच्छा करने की कोशिश की है जिनके घरों में शौचालय या बिजली नहीं है। जो अंधेरे में अपना जीवन बिता रहे थे, जिनकी आर्थिक स्थिति खराब है। हमें उनके लिए और काम करने की जरूरत है। मैं संविधान निर्माताओं का सपना पूरा करना चाहता हूं।’
‘सरदार पटेल, गुजरात में नर्मदा पर बांध देखना चाहते थे। पंडित नेहरू ने इसका शिलान्यास किया, लेकिन पर्यावरण के नाम पर आंदोलन चलाया गया। अदालतों में भी मामला कई दशकों तक उलझा रहा। अदालतें भी आदेश जारी करने में हिचकिचाती रहीं। औपनिवेशिक मानसिकता जारी है. भारत को पर्यावरण के नाम पर उपदेश दिए जाते हैं। भारत पर तरह-तरह के दबाव बनाए जाते हैं। देश के भीतर भी कुछ लोग ऐसी मानसिकता वाले हैं जो बोलने की आजादी के नाम पर कुछ भी करते हैं। ये औपनिवेशिक मानसिकता देश के विकास में बाधा है. इसको दूर करना ही होगा। ‘हमारे देश में ऐसे लोग भी हैं जो अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर, बिना सोचे समझे देश के विकास को रोक देते हैं। इसका खामियाजा ऐसे लोगों को नहीं भुगतना पड़ता है, लेकिन उन माताओं को झेलना पड़ता है जिनके पास अपने बच्चों के लिए बिजली नहीं है। न्यायपालिका और कार्यपालिका का जन्म संविधान से हुआ है, इसलिए हम जुड़वां हैं और भले ही हम अलग दिखते हैं, हम एक ही स्रोत से हैं. विधायिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका के बीच शक्तियों के पृथक्करण की अवधारणा हो सकती है। लेकिन हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है और केवल वही देश को आगे ले जा सकता है ‘ कार्यक्रम में मौजूद टार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अपना दायरा बढ़ा दिया है।
यह सभी मुद्दों पर विभिन्न हाईकोर्ट की अपील सुनता है। हाईकोर्ट के फैसलों की वैधता की जांच करता है। भूमि नियंत्रण, संपत्ति, वैवाहिक आदि जैसे मामलों का कोई संवैधानिक मूल्य नहीं है। ट्रायल कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक एक आपराधिक मामले का फैसला आने में 30 साल लग जाते हैं। अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने कहा कि संवैधानिक मामलों की सुनवाई के लिए 5 जजों के साथ 3 संवैधानिक बेंच स्थायी रूप से स्थापित की जाए। मुझे लगता है कि सुप्रीम कोर्ट के पूरे ढांचे को बदलने की जरूरत है।
कानून मंत्री किरेन रिजिजू जी का कहना है कि संविधान शक्तियों के पृथक्करण का प्रावधान करता है।
CJI एनवी रमना ने कहा कि न्याय देना तीनों अंगों पर निर्भर करता है।