विश्व टीबी दिवस 2022: शहरों में निम्न वर्गीय लोगों के बीच टीबी के मामलों में तेजी आई है। गरीब वर्ग के लोग गंदे भीड़भाड़ वाले झोंपड़ीनुमा इलाके में रहते है। साफ हवा और पानी की कमी के कारण इनकी टीबी से संक्रमित होने की संभावना ज्यादा रहती है।
24 मार्च को विश्व टीबी दिवस मनाया जाता है। विश्व स्वाथ्य संगठन का लक्ष्य है कि साल 2035 तक टीबी से होने वाली मौतों को 95% तक घटा दिया जाए और टीबी के मामलों को भी 90% तक कम कर दिया जाए। बढ़ते शहरीकरण से कई संक्रमण वाली बीमारियों पर काबू भी देखा जा रहा है लेकिन टीबी के मामले में ये बात लागू नहीं हो रही। बल्कि शहरीकरण के बढ़ने के साथ-साथ बड़े शहरों में रहने वाले लोगों में टीबी के मामले भी बढ़े हैं।
कारण?
टीबी बैक्टीरिया से फैलता है। यह एक संक्रामक रोग है। किसी भी प्रभावित व्यक्ति के संपर्क में आने से स्वस्थ व्यक्ति को ये हो सकता है। ये संक्रमित व्यक्ति के खांसने या छींकने से फैलता है। इसका संक्रमण फेफड़ों , पेट की हड्डियों और तंत्रिका तंत्र को भी प्रभावित करता है।
बढ़ते शहरीकरण से उच्च और मध्यम वर्ग के लोगों के पास अधिक सुविधाएं हो गई हैं जिससे उनके बीच टीबी जैसी संक्रामक बीमारियां बेहद कम फैलती हैं लेकिन इस शहरीकरण ने गरीब तबके के लोगों को शहरों के गंदे स्लम में रहने पर मजबूर किया है। ये झुग्गी-झोपड़ियां अधिक भीड़भाड़ वाली होती है। इनमें रहने वाले लोगों के पास स्वास्थ्य सुविधाएं भी नहीं होती और ऐसे ही माहौल में टीबी को फलने-फूलने का मौका मिल रहा है।
टीबी का असली कारण गंदगी :
निम्न और मध्यमवर्ग तबके के लोग गंदे और भीड़भाड़ वाले इलाकों में रहते हैं। एक छोटे से कमरे में 10-12 सदस्यों का एक पूरा परिवार गुजारा करता है और ये लोग सामूहिक टॉयलेट का इस्तेमाल करते हैं।
घरों में साफ पानी नहीं मिलता और खाना-पीना भी काफी दूषित होता है। इन स्लमों और छोटे घरों में पर्याप्त रोशनी और हवा भी नहीं होती और लोग प्रदूषित वातावरण में रहते हैं। इसलिए ऐसे माहौल में टीबी काफी तेजी से फैलता है। महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, दिल्ली आदि शहरों की झुग्गियों में रहने वाले लोगों में टीबी के मामले अधिक रिपोर्ट होते हैं।
WHO की एक रिपोर्ट के मुताबिक, विश्व भर में कुल टीबी के मामलों में एक-तिहाई मामले भारत में होते हैं। भारत में इस बीमारी से हर साल 4 लाख 80 हजार मौतें हो रही हैं।
दुनिया की लगभग एक चौथाई आबादी अप्रत्यक्ष रूप से टीबी से संक्रमित है। ऐसे लोगों में टीबी के बैक्टीरिया मौजूद तो हैं लेकिन वो निष्क्रिय हैं। ऐसे लोगों को अपने जीवन में टीबी से संक्रमित होने का खतरा 5-10 प्रतिशत तक रहता है।
टीबी रोकने के उपाय :
घरो में साफ-सफाई रखी जाए।
घरो में पर्याप्त रोशनी और हवा का इंतजाम हो।
भारत सरकार की टीबी उन्मूलन स्कीम :
नरेंद्र मोदी सरकार ने साल 2025 तक देश को टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा है लेकिन कोविड महामारी के आने के बाद अस्पतालों और स्वास्थ्य कर्मचारियों का सारा ध्यान टीबी से शिफ्ट होकर कोविड पर चला गया।
इस दौरान टीबी मरीजों को पर्याप्त जांच और इलाज नहीं मिल पाया। विशेषज्ञों का कहना है कि भारत से टीबी 2025 तक खत्म करना नामुमकिन सा है। भारत को पूरी तरह टीबी मुक्त करने के लिए 2025 के बाद भी 5-7 साल और लग सकते हैं।
टीबी के लक्षण?
*तीन से अधिक हफ्तों तक खांसी।
*खांसी के साथ खून का आना।
*छाती में दर्द, सांस लेने और खांसते समय भी छाती में दर्द।
*अचानक वजन का का कम होना।
*चक्कर आना।
*बुखार आना।
*सोते वक्त पसीना आना।