भारत नारियल की खेती में 1 नंबर पर है। यहां पर 21 राज्यों में नारियल की खेती की जाती है। इसमें कम मेहनत में अच्छी उपज मिलती है।
पूरे भारत में नारियल काफी पसंद किया जाता है। धार्मिक कार्यों से लेकर बीमारियों तक नारियल का सब जगह इस्तेमाल किया जाता है। नारियल का पेड़ सबसे लम्बे समय तक फल देता है। इसके पेड़ की आयु 80 वर्ष तक होती है। इसकी खेती करना काफी फायदेमंद हो सकता है.
इसकी खेती में कीटनाशक और महंगी खाद की जरूरत नहीं होती। एरियोफाइड और सफेद कीड़े नारियल के पौधों को नुकसान पहुंचाते हैं। इसलिए किसानों को इसका ध्यान भी रखना होता है।
नारियल के पेड़ के फायदे :
नारियल के पौधे की लम्बाई 10 मीटर से भी ज्यादा होती है। इसका तना पत्ती और शाखा रहित होता है। इसका पानी बहुत की पौष्टिक होता है। वहीं इसका गूदा खाने के काम आता है।
नारियल की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी :
नारियल की खेती के लिए बलुई मिट्टी की जरूरत होती है। काली और पथरीली जमीन में इसकी खेती नहीं की जा सकती। इसकी खेती के लिए खेत में अच्छी जल निकासी होनी चाहिए। फलों को पकने के लिए सामान्य तापमान और गर्म मौसम की जरूरत होती है। इसके लिए ज्यादा पानी की आवश्यकता भी नहीं होती। पानी की पूर्ति बारिश के पानी से पूरी हो जाती है।
उपयुक्त सिंचाई :
इसके पौधे की सिंचाई ‘ड्रिप विधि’ के माध्यम से की जाती है। ‘ड्रिप विधि’ से पौधे को उचित मात्रा में पानी मिलता है और इसकी अच्छी पैदावार होती है। ज्यादा पानी से नारियल का पौध मर भी सकता है। नारियल के पौधों की जड़ में शुरुआत में हल्की नमी की जरूरत होती है। गर्मी के मौसम में पौधे को तीन दिन के अंतराल में ज़रुर पानी देना होता है। सर्दी के मौसम में सप्ताह में इसकी एक सिंचाई काफी होती है।
खेती का समय :
बरसात के मौसम के बाद नारियल के पौधे लगाना लाभकारी होता है।
नारियल का पौधा 4 साल में फल देने लगता है. जब इसके फल का रंग हरा हो जाता है तो इसे तोड़ लिया जाता है। इसके फल को पकने में 15 महीने से ज्यादा समय लगता है। फल पेड़ से तोड़ने के बाद पकाया जाता है .